कोल्हान दिशूम

दुनिया में सबसे पहले समुद्र से निकला कोल्हान : दुनिया का पहला समुद्री तट है कोल्हान झारखंड की जमीन रहस्यों से भरी हुई है. भूवैज्ञानिकों यहां की जमीन पर किये गये शोध से नये खुलासे हो रहे हैं. हालिया शोध में यह खुलासा हुआ है कि झारखंड के कोल्हान में सबसे पहले धरती समुद्र से निकली थी. कुछ दिन पहले एक शोध आया की अफ्रीका नहीं झारखण्ड के कोल्हान में सबसे पहले समुद्र से निकली थी धरती ताज़ा शोध में कहा गया है की करीब 3.2 अरब साल पहले धरती पहली बार समुद्र से बाहर निकली थी और जो इलाका सबसे पहले निकला था, वह झारखण्ड का कोल्हान इलाका हो सकता है. इस ताज़ा शोध में उस व्यापक धारणा को चुनौती दी गई जिसमें जलप्रलय के बाद करीब 2.5 अरब साल पहले विभिन्न महाद्वीपों के समुद्र से निकलने के बारे में तमाम दावे किए गए थे. अमेरिका के विज्ञान के चर्चित जर्नल 'प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी आफ साईंस (पीएनएएस)' में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक शोध के मुताबिक़, आज से 310 करोड़ साल पहले कोल्हान क्रेटोन का जन्म हुआ, यानी यह क्षेत्र पहली बार पानी से बाहर आया. इस शोध में भारतीय मूल के चार
शोधकर्ता डॉ. प्रियदर्शी चौधुरी, सूर्यजेंदु भट्टाचार्थी, शुभोजीत राय और शुभम मुखर्जी (क्रमश:) शामिल हैं. यह शोध आलेख ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और अमेरिका के आठ शोधकर्ताओं ने लंबे रिसर्च के बाद लिखा है. इनमें से चार विदेशों में रहने वाले भारतीय मूल के हैं. इसके प्रमुख लेखक ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित मोनाश विश्वविद्यालय के रिसर्च फ़ेलो डॉ. प्रियदर्शी चौधुरी हैं. वे वहां के स्कूल ऑफ अर्थ एटमॉस्फ़ेयर एंड इनवायरमेंट से जुड़े हैं. शोध में शामिल भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के भूवैज्ञानिकों ने पाया की कोल्हान के बलुआ पत्थर में प्राचीन नदी चैनल, ज्वार भाटा और तट करीब 3.2 अरब साल पुराने होने के भूगर्भीय संकेत मिले हैं. धरती का यही इलाका सबसे पहले समुद्र से बाहर निकला था. प्राचीन चट्टानों में जिक्रोन अनाज की रासायनिक संरचना से, वैज्ञानिकों ने महसूस किया कि यह 3.1 अरब वर्ष पुराना था और नदियों और महासागरों से निकला था. जल निकाय महाद्वीपीय भूमि की उपस्थिति में ही मौजूद हो सकते हैं. उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि झारखंड का कोल्हान क्रेटन पहली बार लगभग 3.3 बिलियन से

3.2 बिलियन साल पहले समुद्र तल से ऊपर आया था, इसे संभवतः पृथ्वी पर सबसे प्राचीन समुद्र तटों में से एक का टैग दिया गया था. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोल्हान क्षेत्र में बलुआ पत्थरों के रूप में ठोस सबूत पाए गए थे, जिसमें 3.2 अरब साल पुराने प्राचीन समुद्र तटों के निशान मिलते हैं. अध्ययन के अनुसार, व्यापक रूप से माना जाता है कि प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण इस विशेष क्षेत्र में भूमि का निर्माण हुआ, क्योंकि यह माना जाता है कि पृथ्वी की गहराई से मैग्मा के इंजेक्शन ने पहले महाद्वीपों का निर्माण किया. वैज्ञानिकों ने अध्ययन में लिखा है कि महाद्वीपों का उपनगरीय उदय लगभग 2.5 अरब साल पहले शुरू हुआ था और प्लेट टेक्टोनिक्स द्वारा संचालित था. क्रांतिकारी अध्ययन से पता चलता है कि महाद्वीप 700 मिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में आए, जो पृथ्वी के वायुमंडल और महासागरों के संबंध को अधिक संदर्भ देते हैं, जो कि महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन के युग में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. इस नई खोज की कहानी पढ़िए रिसर्चर्स की जुबानी... कोल्हान में रिसर्च टीम की अगुआई करने वाले ऑस्ट्रेलिया के पीटर केवुड ने कहा, 'हमारा सौरमंडल, पृथ्वी या दूसरे ग्रह कैसे बने ? इन सवालों की खोज में मैं और मेरी टीम के 7 साथी, जिनमें 4 भारत से थे, ने 7 साल तक झारखंड के कोल्हान और ओडिशा के क्योंझर समेत कई दूसरे जिलों के पहाड़-पर्वतों को छान मारा। पृथ्वी से जमीन कब बाहर निकली, इस सवाल का जवाब खोजने के लिए जुनून जरूरी था। ये जगह नक्सल प्रभावित है। लेकिन हमने तय किया था कि करना है, तो करना है। ' 'अपने 6-7 साल के फील्ड वर्क में लगभग 300-400 किलो पत्थरों का लेबोरेट्री में टेस्ट किया है। इनमें कुछ बलुआ पत्थर थे और कुछ ग्रेनाइट। हमने जो बलुआ पत्थर देखें, उनकी खासियत यह थी कि उनका निर्माण नदी या समुद्र के किनारे हुआ था। नदी या समुद्र का किनारा तभी हो सकता है, जब आसपास भूखंड हो । पीटर ने कहा, 'जब हमने बलुआ पत्थरों की उम्र निर्धारित करने की कोशिश की, तब हमें पता चला कि कोल्हान आज से लगभग 320 करोड़ साल पहले बना था। इसका मतलब यह हुआ कि आज से 320 करोड़ साल पहले यह हिस्सा एक भूखंड के रूप में समुद्र की सतह से ऊपर था।' पृथ्वी की उम्र क़रीब 450 करोड़ साल है. वैज्ञानिकों के मुताबिक़, अपने जन्म के वक़्त पृथ्वी काफी गर्म थी. लाखों साल बाद यह ठंडी हुई और यहां पानी बना. धूमकेतुओं के कारण समुद्र बने. फिर 310 करोड़ साल पहले भौगोलिक परिवर्तनों के कारण महाद्वीपों का बनना शुरू हुआ. कोल्हान धरती का ऐसा पहला महाद्वीप बना. इन महाद्वीपों के अस्तित्व में आने से वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ी और समुद्र के पानी में फॉस्फोरस और दूसरे खनिज लवणों का समावेश हुआ. 

'अब तक माना जाता रहा है कि अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र सबसे पहले समुद्र से बाहर निकले। लेकिन हमने पाया कि कोल्हान क्षेत्र उनसे भी 20 करोड़ साल पहले बाहर आया। हमारा दावा कि कोल्हान क्रेटोन समुद्र से निकला पहला द्वीप है, यह हमारी पूरी टीम के लिए बड़ा ही रोमांचक पल था।'हमने कोल्हान के ग्रेनाइट पत्थर की जब जांच की तो यह पता चला कोल्हान महाद्वीप आज से तकरीबन 350 से 320 करोड़ साल पहले लगातार ज्वालामुखी गतिविधियों से बना था। इसका मतलब यह हुआ कि 320 करोड़ साल पहले कोल्हान महाद्वीप समुद्र की सतह से ऊपर आया, लेकिन उसके बनने की प्रक्रिया उससे भी पहले शुरू हो गई थी। यह क्षेत्र उत्तर में जमशेदपुर से लेकर दक्षिण में महागिरी तक, पूर्व में ओडिशा के सिमलीपाल से पश्चिम में वीर टोला तक फैला हुआ है। इस क्षेत्र को हम कोल्हान क्रेटोन या महाद्वीप कहते हैं। पीटर ने बताया, 'शोध के लिए हमने पिछले 6-7 साल में कई बार कोल्हान महाद्वीप के कई हिस्सों में फील्ड वर्क किया जैसे कि सिमलीपाल, जोडा, जमशेदपुर, क्योंझर इत्यादि। अध्ययन के दौरान हमारा केंद्र जमशेदपुर और ओडिशा का जोड़ा शहर था। यहीं से कभी बाइक से कभी बस-कार से फील्ड वर्क पर निकलते थे।' सैंपल कलेक्शन में स्थानीय लोगों ने मदद की हम पत्थरों को उनके प्राकृतिक रूप में समझने की कोशिश करते थे। जैसे उनका स्वरूप कैसा है, उनका रंग क्या है, वे कितनी आसानी से टूट सकते हैं, कितनी दूर तक फैले हुए हैं। हम अलग-अलग समय में आते थे। कभी बरसात, कभी गर्मी के दिनों में। फील्ड वर्क में सबसे कठिन काम यह ढूंढना होता था कि पत्थर कहां पर मौजूद हैं। हमारे पास मैप होते थे, लेकिन ज्यादातर समय छोटी चट्टानें या फिर सड़कों के किनारे या नदी नालों के किनारे स्थित पत्थरों तक पहुंचने के लिए हमें स्थानीय लोगों की मदद लेनी पड़ी। कोल्हान में फील्ड वर्क करने के दौरान ऐसी परिस्थितियां आईं, जब स्थानीय लोगों ने हमें पत्थर ढूंढने में बहुत मदद की थी। 

क्या है क्रेटोन? 

अवसादी चट्टान और बलुआ पत्थर अक्सर छिछली नदियों के मुहानों और समुद्री बीच पर बना करते हैं. कोल्हान में मिली चट्टानों पर समुद्री लहरों के निशान देखे जा सकते हैं. ये सालों तक समुद्र से टकराने के कारण बने होंगे, जो जाते-जाते इन पर अपना निशान छोड़ गए. कोल्हान के चाईबासा और सारंडा के जंगलों में ऐसी चट्टानें मिलती रही हैं, लेकिन इन पर ऐसा शोध पहली बार हुआ है. वहीं क्रेटोन दरअसल ग्रीक शब्द है. इसका अर्थ है महाद्वीप. भूवैज्ञानिकों के मुताबिक़, दुनिया में 30 क्रेटोन हैं और उनमें से 10 बड़े आकार के हैं. इन 10 बड़े क्रेटोन में से 4 भारत में हैं. डॉ. प्रियदर्शी ने बताया कि भारत में कोल्हान के अलावा बस्तर, बुंदेलखंड और धारवाड़ के क्रेटोन हैं. मतलब ये पृथ्वी के सबसे पुराने महाद्वीप हैं. जाहिर है कि पृथ्वी पर सभ्यता का विकास इन जगहों पर सबसे पहले हुआ. ऐसे क्रेटोन अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में भी हैं.


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